भारतीय सेना के शौर्य, पराक्रम, वीरता और बहादुरी का लोहा पूरी दुनिया जानती और मानती है। यह बताने की आवश्यकता नही कि दुनिया के अन्य देशों के सामने हमारी फौज कहाँ है। हमने सीमित संसाधनों के बावजूद सेना से वैसे नतीजे मिलते देखे जो शायद ही किसी अन्य देश की सेना देने में सक्षम हो पाती, हालांकि इसके बावजूद राजनीति के लिहाज से सेना के प्रयोग ने न सिर्फ सेना के मनोबल को तोड़ा है बल्कि पंगु बना दिया है। ऐसे में सवाल है सैन्य शक्ति है भरपूर, फिर भी हम क्यों है मजबूर।
हम बात आज चाहे कश्मीर में हालात की करें या देश के अंदर सेना को मिलने वाली सुविधाओं की सेना मुश्किल हालातों का सामना करते हुए भी मोर्चा थामे रहती है लेकिन न तो पाक की नापाक हरकतों के खिलाफ उन्हें कार्रवाई की खुली छूट दी जाती है न ही उचित संसाधन उपलब्ध हैं। हम पहले भी ऐसी खबरें पढ़ते रहे हैं कि सेना संसाधनों की कमी से जूझ रही है। ऐसे में अपनी पराक्रम और वीरता को ढाल बना कोई कब तक जंग के मैदान में लड़ सकता है।